Utpanna Ekadashi 2024 उत्पन्ना एकादशी संतान प्राप्ति और मोक्ष, 08 December 2023

 

Utpanna Ekadashi 

उत्पन्ना एकादशी Utpanna Ekadashi व्रत हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे आरोग्य, संतान प्राप्ति, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को नवम्बर और दिसम्बर के बीच मनाया जाता है।

Utpanna Ekadashi


उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का व्रत करने से विशेष रूप से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्रती व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, इस व्रत का पालन करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और संतान प्राप्ति में भी सहायक होता है।

Utpanna Ekadashi

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है, और यह व्रती को अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मदद करता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती को अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए संजीवनी शक्ति मिलती है, जो उसे आत्म मुक्ति की ओर बढ़ने में मदद करती है।

इस प्रकार, उत्पन्ना एकादशी व्रत विभिन्न प्रकार के आरोग्य, संतान प्राप्ति, और मोक्ष के लाभों के लिए महत्वपूर्ण होता है और हिन्दू समाज में इसे विशेष भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है।

(Utpanna Ekadashi) उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत का महूर्त ?

  • आइये यहाँ जानते हैं व्रत की सरल पूजन विधि, पारण समय, नियम और कथा के बारे में 
  •  Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी पूजन और पारण के शुभ मुहूर्त
  • मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ 7 दिसंबर 2023 गुरुवार को 08:36 P.M से शुरू,
  • Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी तिथि की समाप्ति 8 दिसंबर 2023 शुक्रवार को 10:01 P.M पर

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग मे मूर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ । वह बड़ा बलवान और भयानक था उस प्रचंड दैत्य ने इन्द्र, आदित्य, वसु, वायु, अगिनी, आदि सभी देवताओ को पराजित करके भगा दिया तब इन्द्र सहित सभी देवताओ ने भयभीत होकर भगवान शिव से सारा व्रतांत कहा। और बोले हे कैलाशपति मुर दैत्य से भयभीत होकर सब देवता मृत्युलोक मे फिर रहे हैं, तब भगवान शिव ने कहा हे देवताओ तीनों लोको के स्वामी भक्तों के दुखों का नाश करने वाले भगवान विष्णु की शरण मे जाओ वे ही तुम्हारे दुखों को दूर कर सकते हैं। शिव जी के ऐसे वचन

 
Utpanna Ekadashi

सुनकर सभी देवता क्षीरसागर मे पहुंचे वहा भगवान को शयन करते देख हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगते हैं देवताओ द्वारा स्तुति करने योग्य प्रभु आपको बारंबार नमस्कार हैं। देवताओ की रक्षा करने वाले मधुसूदन, आपको नमस्कार हैं आप हमारी रक्षा करें दैत्यों से भयभीत होकर हम सब आपकी शरण मे आए हैं। इन्द्र के ऐसे वचन सुनकर भगवान विष्णु कहने लगे हे इन्द्र ऐसा मायावी दैत्य कौन हैं जिसने सब देवताओ को जीत लिया हैं, उसका नाम क्या हैं? उसमे कितना बल हैं? और उसका स्थान कहां है? यह सब मुझसे कहो। भगवान के ऐसे वचन सुनकर इन्द्र बोले भगवान प्राचीन समय मे एक नाड़ी नघ नामक राक्षस था उसे महापराक्रमी और लोक विख्यात मुर नाम का एक पुत्र हुआ। उसकी चंदावती नाम की नगरी हैं उसी ने सब देवताओ को स्वर्ग से निकालकर वहाॅ अपना अधिकार जमा लिया हैं वह इन्द्र, अग्नि, वरुण, यम, वायु, ईश, चंदमा, सूर्य बनकर स्वयं ही प्रकाश करता हैं स्वयं ही मेघ बन बैठा हैं और सबसे अजेय हैं, हे असुर निकंदन उस दुष्ट को मारकर देवताओ को अजेय बनाइये, यह वचन सुनकर भगवान ने कहा हे देवताओ मैं शीघ् ही उसका संहरा करूंगा। तुम चंदावती नगरी जाओ इस प्रकार कहकर भगवान सहित सभी देवताओ ने चंदावती नगरी की और प्रस्थान किया। उस समय दैत्य मुर सेना सहित युद्ध भूमि मे गरज रहा था । उसकी भयानक गर्जना सुनकर सभी देवता भय के मारे चारों दिशोंओ मे भागने लगे, जब स्वयं भगवान रणभूमि मे आए तो दैत्य उन पर भी अस्त्र शस्त्र आयुध लेकर दौडे भगवान ने उन्हे सर्प के समान अपने बाणों से बिध डाला बहुत से दैत्य मारे गए। केवल मुर बचा रहा भगवान जो -जो भी तीक्षण बाण चलाते वह उसके लिए पुष्प होता हैं । उसका शरीर छिन्न -भिन्न हो गया किन्तु वह लगातार युद्ध करता रहा। दोनों के बीच मल्लयुद्ध भी हुआ ।
10 हजार वर्ष तक उनका युद्ध चलता रहा किन्तु मुर नहीं हारा, थककर भगवान बद्रीकाश्रम चले गए वहां हेमवती नामक सुंदर गुफा थी। उसमे विश्राम करने के लिए भगवान उसके अंदर प्रवेश कर गए यह गुफा 12 योजन लंबी थी और एक ही द्वार था । विष्णु भगवान वहां योगनिर्द्रा की गोद मे सो गए , मुर भी पीछे-पीछे आ गया और भगवान को सोया देखकर मारने को उघत हुआ तभी भगवान के शरीर से उज्ज्वल कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुई, देवी ने राक्षस मुर को ललकारा युद्ध किया और उसे तत्काल मौत के घाट उतार दिया। श्री हरि जब योगिनिद्रा की गोद से उठे तो सब बातो को जानकर उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकदशी के दिन हुआ है अत: आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजी जाएंगी। मेरे भक्त भी आपकी पूजा करेंगे तथा आपके भक्त होंगे।
 

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