कहानी - बकरी और चालाक लोमड़ी

                          बकरी और चालाक लोमड़ी - 

एक चालाक लोमड़ी एक दिन कुएं में पानी पीने के चक्कर में कुएं में गिर गई। लोमड़ी अपने आप को बचाने के लिए जोर-जोर से आवाज लगाने लगी । 

बकरी और चालाक लोमड़ी की कहानी

कुएं के पास से एक बकरी गुजर रही थी । कुए के अंदर से लोमड़ी की आवाज सुनकर बकरी कुएं के पास आई और अंदर देखने लगी। बकरी ने देखा कुए के अंदर एक लोमड़ी बैठी हुई है।बकरी ने लोमड़ी से पूछा - " तुम कुंए में क्या कर रही हो।"
लोमड़ी बहुत चालाक थी । लोमड़ी बकरी से बोली - " इस कुएं का पानी तो बहुत ही स्वादिष्ट है अमृत के समान है। जो इस कुएं का पानी पी लेता है उसकी उम्र कई वर्ष बढ़ जाती 

इसलिए मैं इस कुएं का पानी पीने के लिए आई थी। अगर तुम्हें भी पानी पीना है और अपनी उम्र बढ़ाना है तो तुम भी आकर यहां पानी पी सकती हो।"

बकरी चालाक लोमड़ी की बातों में आ गई और कुए का पानी पीने के लिए कुए के अंदर छलांग लगा दी।

चालाक लोमड़ी इसी का इंतजार कर रही थी और जैसे ही बकरी कुएं में गिरी लोमड़ी बकरी की पीठ पर चढ़कर छलांग लगाकर कुए के बाहर आ गई और बेचारी सीधी-सधी बकरी कुंए में फंस गई ।


हमे इस कहानी यह सिख मिलती हैं   

बकरी और चालाक लोमड़ी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कोई भी कार्य करने के पहले उसके परिणाम के बारे में अवश्य सोच लेना चाहिए।

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